इंटरनेट की खोज किसने की?

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इंटरनेट की खोज किसने की?

 इंटरनेट की खोज किसने की?



पूरी दुनियाभरा में पहली बार इन्टरनेट की खोज Vint Cerf और Sway Khan (Robert Elliot Kahn) द्वारा की गयी थी. इसलिए इन दोनों को इंटरनेट के जनक के नाम से भी संभोधित किया जाता है. इन दोनों से पहली बार एक ऐसी नेट्वर्क के ऊपर काम करना चालू किया था, जिसे हम आज के समय में इंटरनेट कह रहे हैं.


सन 1978 में, इन दोनों के मिलित परायशों से Transmission Control Convention और Web Convention की संरचना हुई, जिसे की TCP/IP के नाम से भी जाना जाता है.


तो यदि आपके मन में अभी की इन्टरनेट की खोजकर्ता या उससे जुड़ी कुछ जानकारी के बारे में जानना है तब आप यह आर्टिकल ज़रूर से पूरा पढ़ सकते हैं.


आख़िर क्या है ये इंटरनेट?

लोगों के मन में इन्टरनेट को लेकर काफ़ी सारी गलत धारणा महजूद है. इसलिए पहले इन सभी को साफ़ करने की ज़रूरत है. आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की Web कोई Web नहीं हैं. न ही इंटरनेट एक cloud है. वहीं इन्टरनेट, एक चमत्कार भी बिलकुल नहीं है.


तो फिर क्या है ये इन्टरनेट?


ये सुनने में बड़ा ही आसान प्रतीत होता है, और आसानी से हमारे स्मार्ट्फ़ोन में चलता भी है. इसलिए शायद हमने इसे ज़्यादा महत्व कभी नहीं दिया. लेकिन आपको बता दूँ की, इंटरनेट पीछे काफ़ी सारी प्रक्रिया चलती है, कहीं तभी जाकर हमने इन्टरनेट की सेवा प्राप्त होती है.


तो चलिए आसान शब्दों में समझते हैं, इन्टरनेट आख़िर है क्या.


इन्टरनेट असल में एक तार या wire होता है. सच बताऊँ तो बहुत सारे तारें जो की दुनियभर के कम्प्यूटर से जुड़ी हुई होती हैं.


Web को आप एक आधारिक संरचना या framework मान सकते हैं. यह एक worldwide organization है interconnected PCs का जो की एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं और साथ में convey भी कर रहे होते हैं, वो भी एक normalized तरीक़े से कुछ set conventions के हिसाब से.


इन्टरनेट के इतिहास के बारे में पढ़ते वक्त मुझे एक बात का एहसास ज़रूर हुआ है, इस दुनिया में हम जो की नया आविष्कार देख रहे हैं वो सभी एक समस्या से आरम्भ हुआ है. यूँ कहे तो उस समस्या का समाधान खोजते हुए हमने कई ऐसी चीजों का आविष्कार कर लिया है जो शायद बिना उस समस्या के सम्भव नहीं हो पाता. एक ऐसी ही चीज़ इन्टरनेट भी है.


इंटरनेट की खोज कब हुई थी?

इन्टरनेट एक ऐसी तकनीक जो की इतनी ज़्यादा क़ीमती और हमेशा बदलने वाली तकनीक है, की इसे किसी एक इंसान के द्वारा खोज पाना या आविष्कार करना संभव नहीं. इन्टरनेट की खोज में कई लोगों का हाथ है, सभी ने अपना श्रम और समय इसमें लगाया हुआ है.


इसलिए इतने समय के बाद में आज जो इन्टरनेट की सेवा हमें मिल रही है, वो क़रीब ४० से भी ज़्यादा वर्षों की मेहनत है. इस तकनीक के तरक़्क़ी में कई वैज्ञानिकों और एंजिनीर का हाथ रहा है. साथ में चूँकि यह हमेशा बदलता रहता है, इसलिए इसमें अभी भी लोग बेहतर बनाने में और नए फ़ीचर लाने में जुटे हुए हैं.


आज हम जिस इंटरनेट को जानते हैं और उसका उपयोग करते हैं, वह एक प्रयोग का परिणाम था, ARPANET, इंटरनेट का अग्रदूत नेटवर्क.


और यह सब एक समस्या के कारण शुरू हुआ.


इन्टरनेट का आविष्कार किसने की और कब?

इस सवाल का कोई आसान जवाब नहि है क्यूँकि इन्टरनेट कोई छोटी चीज़ नहीं बनाने के लिए या आविष्कार करने के लिए. ये बात भी सही है की मिलिटेरी ने बहुत से शुरूवती PC tech अपने लिए बना लिया था और साथ में उन्होंने पहली कनेक्शन के लिए काफ़ी फ़ंडिंग भी की हुई था बड़े बड़े और विशालकाय कम्प्यूटर के बीच में, वैसे ये बात क़रीब सन 1960 की है.


लेकिन अगर आप असली आविष्कारों के बारे में जानना चाहें तब ये हैं Kahn और Cerf, जिन्होंने इन्टरनेट की उन systems का आविष्कार किया, जिसका इस्तमाल की आज के समय में भी किया जा रहा है. उन्होंने नियम निर्धारित किए और अदृश्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू किया जिस पर हम सभी भरोसा करते हैं.


वहीं सन 1989 में, Berners-Lee ने Internet की खोज की. ये वहीं प्लाट्फ़ोर्म है, जिसका इस्तमाल आज हम कर रहे हैं इन्टरनेट का इस्तमाल करने के लिए. लेकिन एक बात तो आपको मानना ही पड़ेगा की बिना ARPANET और Vinton Cerf जैसे लोगों के, आज के समय का इन्टरनेट वो नहीं होता जो वो है.


इसलिए किसी एक को इंटरनेट के आविष्कार का पूरा श्रेय देना ठीक नहीं होगा, बल्कि हम सभी को उनके कार्यों का उचित दर्जा देना चाहिए. आज इंटरनेट जैसा भी है वो सभी इन महान लोगों की कड़ी मेहनत की बदौलत संभव हो पाया है.


Vint Cerf और Sway Kahn ने एक सपना देखा था Worldwide Decentralized Web का

उनका मानना था की, "जानकारी हमेशा से मुफ़्त होनी चाहिए सभी लोगों के लिए ", और इंटरनेट के इस्तमाल से वो पूरी दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाना चाहते थे. वो किसी एक सरकार या देश को इन्टरनेट का स्वामित्व प्रदान करने के ख़िलाफ़ थे, वो चाहते थे की पूरी दुनिया में सभी लोगों के पास इस बेहतरीन तकनीक के इस्तमाल करने की सुविधा हो, सभी इससे लाभान्वित

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